• slot gacor 2024slot danaslot danasigma168slot gacor terbaik
  • slot gacor 2024slot danaslot danasigma168slot gacor terbaik
  • slot gacor 2024slot danaslot danasigma168slot gacor terbaik
  • slot gacor 2024slot danaslot danasigma168slot gacor terbaik
  • Best Sainik School Coaching In India Quite India Movement 8 August 1942 | Sainik School Coaching

    Quite India Movement 8 August 1942

    Created by Er. Vijay Kumar in Military School 14 Nov 2024
    Share
    Quite India Movement 8 August 1942

    भारत छोड़ो आन्दोलन (Quite India Movement)

    The movement was
    launched on August 8, 1942 by Mahatma Gandhi at the All India Congress
    Committee meeting in Maharashtra. The slogan of the movement was "Do
    or Die"

    भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement-1942) गाँधी जी के 3 सबसे प्रमुख
    आंदोलनों में से एक था (उनके अन्य
    2 आंदोलन थे 1920 -22 का असहयोग आंदोलन(Non-Cooperation Movement )एवं 1930 का सविनय अवज्ञा आंदोलन Civil Disobidence Movement ) |

     जैसा कि नाम से स्पष्ट है इस आंदोलन में पूर्ण स्वराज की मांग प्रबलता
    से रखी गई
    , एक अंतरिम सरकार बनाने का सुझाव दिया गया और अंग्रेजी राज की भारत से
    समाप्ति के लिए अंतिम आह्वान किया गया
    |

    इस आंदोलन को अगस्त क्रांतिके नाम से भी 
    जाना जाता है,
    क्योंकि यह 9 अगस्त 1942 को शुरू हुआ था |

    14 जुलाई, 1942 को वर्धा में हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में गाँधी जी को
    आंदोलन की औपचारिक शुरुआत
      के लिए अधिकृत किया गया |

    8 अगस्त, 1942 को बम्बई में कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की बैठक हुई जिसमें
    अंग्रेजों से भारत छोड़ने और एक
    कामचलाऊ” (अंतरिम) सरकार के गठन की बात कही गई



    जब अधिवेशन में इस  प्रस्ताव पर कुछ विरोध के स्वर  उभरे तब उन्हें  चुनौती देते हुए
    महात्मा गाँधी ने इस आंदोलन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की और कहा कि
    यदि संघर्ष का यह
    प्रस्ताव नहीं स्वीकार किया गया तो मैं एक मुट्ठी बालू से ही कांग्रेस से भी बड़ा
    आंदोलन खड़ा कर दूंगा
    “|

    8 अगस्त, 1942 को ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान में बैठक हुई, इसी कार्यकारिणी की
    बैठक में वर्धा प्रस्ताव की पुष्टि की
     
    गई |

    भारत छोड़ो आंदोलन प्रस्ताव पारित होने के बाद
    गाँधीजी ने
    करो या मरो” (Do or
    Die)
    का नारा दिया इस प्रकार अगस्त 1942 को यह आंदोलन प्रारंभ हो गया

    भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण 

    भारत छोड़ो आंदोलन के निम्नलिखित कारण थे :-

    क्रिप्स मिशन की असफलता : 1942 में क्रिप्स मिशन एक बार फिर भारतीयों को संतुष्ट करने में असफल रहा | पिछले अन्य कई
    ब्रिटिश दौरों
      की तरह क्रिप्स मिशन से भी भारतीयों को कुछ हासिल नहीं हुआ और उनके
    पास आंदोलन का ही विकल्प बाकी रह गया

    द्वितीय विश्व युद्ध और जापानी आक्रमण का भय : द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन और जापान एक दूसरे के परस्पर विरोधी
    थे
    | गांधीजी और कांग्रेस कार्यसमिति के अन्य नेताओं का मानना था कि यदि
    अंग्रेजी हुकूमत भारत से चली जाती है तो जापान के पास भारत पर हमला करने का कोई
    कारण नहीं रहना चाहिए
    | अतः भारत को जापान के संभावित आक्रमण से बचाने के लिए और अंग्रेजी
    हुकूमत को भारत से समाप्त करने के लिए इस आंदोलन का सुझाव दिया गया

    युद्ध ने 
    भारत की आर्थिक स्थिति खराब कर दी थी  ,मुद्रास्फीति चरम पर
    थी और खाद्द्य पदार्थ की कमी से देश जूझ रहा था
    | इस चौतरफा निराशा और बदहाली के माहौल में जनता ने
    इस आंदोलन का रास्ता चुना

    ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति बढ़ता  अविश्वास : एक समय था जब
    ब्रिटिश साम्राज्यवाद का महिमामंडन किया जाता था लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध में
    संघर्षरत
    , कमजोर होती ब्रिटिश शक्ति को देखकर लोगों को बल मिला | लोग अब यह सोचने लगे
    की अंग्रेजी हुकुमत को हराना कोई असंभव कार्य नहीं

    भारत छोड़ो आन्दोलन का स्वरुप 

    8 अगस्त सन् 1942 की  रात को कांग्रेस
    कार्यसमिति ने भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव
      पास किया  9 अगस्त की सुबह-सुबह
    बंबई में और पूरे देश में अनेक स्थानों पर बहुत सी गिरफ्तारियाँ हुई और
      ऑपरेशन जीरो आवर’ (operation
    Zero Hour )
    के तहत कांग्रेस के लगभग सभी बड़े नेताओं
    को गिरफ्तार कर लिया गया
    , जिसमे गांधीजी भी शामिल थे ।

    हालांकि गाँधी जी को  गिरफ्तार कर लिया
    गया था
    , लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फोड़ की कार्रवाइयों
    के जरिए आंदोलन चलाते रहे। कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य
    भूमिगत प्रतिरोध गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय थे।

    पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई
    जिलों में
    स्वतंत्र सरकार (प्रति-सरकार) की स्थापना कर दी गई थी। अंग्रेज़ों ने आंदोलन के प्रति काफी सख्त रवैया अपनाया फिर भी इस
    विद्रोह को दबाने में सरकार को साल भर से ज्यादा समय लग गया।
     

    महात्मा गाँधी, कस्तूरबा गाँधी, सरोजिनी नायडू, भूला भाई देसाई को
    गिरफ्तार कर
     पूना के आगा खाँ पैलेस में नजरबन्द कर दिया गया।

    गोविन्द बल्लभ पन्त को गिरफ्तार करके अहमदनगर के किले में रखा।

    जवाहरलाल नेहरू को अल्मोड़ा जेल, राजेन्द्र प्रसाद को बाँकीपुर तथा मौलाना अबुल
    कलाम आजाद को
     बाँकुड़ा जेल में रखा गया।

    बड़े नेताओं की गिरफ्तारी से आन्दोलन पर यह असर
    हुआ कि आन्दोलन नेतृत्वविहीन हो गया
    | फलस्वरूप लोग उग्र
    प्रदर्शन करने लगे
    | हड़तालें हुईं। सेना और पुलिस के विरुद्ध तोड़-फोड़ तथा विध्वंस किए
    गए। टाटा स्टील प्लाण्ट और इस जैसे कई अन्य बड़े कारखाने
      तरह बन्द हो गए हड़ताल में मजदूरों
    की एक ही मांग थी
      कि वे तब तक काम पर नहीं लौटेंगे जब तक राष्ट्रीय सरकार नहीं बन जाती।
    अहमदाबाद में कपड़ा मिलों की हड़ताल
     
    तीन महीने से भी अधिक समय तक चली |

    वेवेल योजना के प्रस्ताव और शिमला सम्मेलन  





















































    वेवेल ने इन प्रस्तावों पर विचार हेतु 25 जून, 1945 को शिमला में एक सम्मेलन चला। 

    Read Also About 

    Chipko Movement Sunderlal bahuguna

    By Sainik School Coaching | Sainik Institute Lucknow

    Comments (0)

    Share

    Share this post with others

    Sainik School Class VI Test Series

    Sainik School Class VI Test Series

    Sainik School Class VI Test Series

    GDPR

    When you visit any of our websites, it may store or retrieve information on your browser, mostly in the form of cookies. This information might be about you, your preferences or your device and is mostly used to make the site work as you expect it to. The information does not usually directly identify you, but it can give you a more personalized web experience. Because we respect your right to privacy, you can choose not to allow some types of cookies. Click on the different category headings to find out more and manage your preferences. Please note, that blocking some types of cookies may impact your experience of the site and the services we are able to offer.